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- Pics: साधुओं का संसार

नदियों में बढ़ रहे प्रदूषण से चिंतित विभिन्न अखाड़ों के साधु अब परंपरा तोड़कर जल-समाधि के बजाय भू-समाधि ग्रहण करना चाहते हैं. भू-समाधि के लिए साधु पर्याप्त जमीन चाहते हैं क्योंकि जल-समाधि की वजह से पर्यावरणीय चिंताएं पैदा हो गयी हैं. प्रसिद्ध जूना अखाड़े के महामंडलेर स्वामी हरि गिरि बताते हैं कि ‘‘वाजिब’’ पर्यावरणीय चिंताओं के अलावा साधुओं का मानना है कि मृत्यु के बाद भी दूसरों के कल्याण के लिए काम करने का साधुओं का प्रण पूरा नहीं हो पाता क्योंकि प्रदूषित नदियों में शव का आहार करने के लिए मुश्किल से कोई जलीय जीव-जंतु बचे हैं. जल-समाधि का उद्देश्य ही यही है कि साधुओं का शरीर मृत्यु के बाद भी दूसरों के कल्याण में काम आए.
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